डिमेंशिया देखभाल पर जानकारी · मनोभ्रंश (डिमेंशिया) पर जानकारी

Living with someone who has dementia जब परिवार में किसी बुज़ुर्ग को डिमेंशिया हो

कई परिवारों में हम अपने बड़े-बुजुर्गों के साथ मिलजुल कर रहते हैं. हम उनके अनुभव का आदर करते हैं और महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी सलाह लेते हैं. कभी कभी उन्हें हमारी मदद चाहिए होती है, और इस तरह मदद करना साथ-साथ रहने का एक स्वभाविक अंग है.

क्योंकि लोग यह नहीं जानते कि डिमेंशिया और बुढ़ापे में फर्क है, वे सोचते हैं कि डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के साथ रहना किसी सामान्य, स्वस्थ बुज़ुर्ग के साथ रहने जैसा होता है. परन्तु सच्चाई तो यह है कि डिमेंशिया के कारण व्यक्ति में जो बदलाव होते हैं, उनकी वजह से हम व्यक्ति से क्या उम्मीद रख सकते हैं, यह फर्क हो जाता है. हमें व्यक्ति से बोलचाल के तरीकों को और मदद के तरीकों को भी बदलना होता है.

उदाहरण के तौर पर यह देखिये कि हम अक्सर अपने बुजुर्गों पर कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय छोड़ देते हैं, क्योंकि उनको हमसे ज्यादा तजुर्बा और जानकारी है. हम उनसे अक्सर पेचीदा प्रश्न करते हैं या सलाह मांगते है. घर में हो रही छोटी-बड़ी बातों के बारे में उन्हें विस्तार से बताते हैं. हमें यह उम्मीद रहती है कि बुज़ुर्ग हमारी बातें समझेंगे और उनमें रुचि लेंगे, और वे अपने अनुभव और सोच-विचार के हिसाब से हमें उचित सलाह भी देंगे.

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति इस प्रकार का रोल नहीं निभा सकते. यह इसलिए क्योंकि डिमेंशिया में सोचने-समझने की काबिलियत कम हो जाती है, और पेचीदा बातें समझना मुश्किल हो जाता है. डिमेंशिया के कारण उनकी तर्क करने की क्षमता कम हो सकती है. विचार व्यक्त करने में भी रोगी को दिक्कत होने लगती है, और वे बात करने के बीच में बात का सिर खो सकते हैं. विस्तृत वर्णन ध्यान से सुनना और याद रखना उनके लिए मुश्किल हो जाता है, और वे केंद्रित नहीं रह पाते.

ऐसा नहीं कि डिमेंशिया के कारण व्यक्ति कुछ नहीं कर पायेंगे. पर उनके करने का स्तर सामान्य बुज़ुर्ग से कम होगा क्योंकि डिमेंशिया के कारण उन्हें कई प्रकार की दिक्कतें हो रही हैं. वे बातों का कितना आनंद ले पायेंगे यह स्थिति पर निर्भर होगा. यदि उन्हें विषय में रुचि हो, तो शायद वे ध्यान दे पाएँ, अपने विचार व्यक्त करें, और कुछ सुझाव भी दें. पर यह सलाह अजीब सी हो सकती है क्योंकि हो सकता है वे बात पूरी तरह से नहीं समझ पाए थे. पेचीदा बातों से और उलझे सवालों से वे घबरा सकते हैं. रुचि का स्तर भी पहले से कम हो सकता है. वे सुस्त हो सकते हैं, या झल्ला सकते हैं. अधिक जानकारी से उन्हें लादना उनके लिए बोझ साबित हो सकता है. मध्यम अवस्था तक पहुंचते पहुंचते डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति इस प्रकार की चर्चा में अक्सर पूरी तरह भाग नहीं ले पाते हैं.

एक अन्य पहलू है रोजमर्रा के कामों में मदद की जरूरत.

उम्र के साथ अक्सर लोगों को कुछ कामों में मदद की जरूरत पड़ने लगती है, क्योंकि शरीर कमज़ोर होने लगता है. परिवार वाले यह पहचानते हैं कि बुजुर्गों के साथ रहने पर इस तरह की मदद देनी होगी.

सामान्य बुज़ुर्ग मदद करने वाले की बात समझ पाते हैं और अक्सर सहयोग भी देते हैं, क्योंकि वे भी चाहते हैं कि काम हो पाए. उदाहरण के तौर पर, यदि उन्हें चलने में दिक्कत है, तो वे दीवार पर लगी रेलिंग का इस्तेमाल करेंगे या देखभाल करने वाले का सहारा मांगेंगे. नहाने में दिक्कत हो रही है तो मदद करने वाले को पीठ पर साबुन लगाने देंगे. कुछ कर रहे हैं और पीछे से कोई आवाज़ देकर रोके, तो रुक कर पूछेंगे कि क्या हुआ?

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को रोजमर्रा के काम में दिक्कत आम बुजुर्गों के मुकाबले कहीं ज्यादा होती है, और फर्क किस्म की होती है. मदद करने वाले की बात समझना और मदद ले पाना भी उनके लिए ज्यादा मुश्किल हो सकता है. क्योंकि व्यक्ति की सोच-समझ और काम करने की काबिलियत पहले से कम होती है, और वे मदद करने वाले की बात पूरी तरह से नहीं समझ पाते. उदाहरण के तौर पर: व्यक्ति शायद देखभाल करने वाले के शब्दों का मतलब न जान पाएँ या गलत समझें. साबुन क्या है, उन्हें शायद न समझ आये. चलते वक्त रेलिंग पकड़ने से आराम रहेगा, वे शायद यह भूल जाएँ. पीछे से दी गयी आवाज़ पर वे शायद ध्यान न दें या ऐसे घबरा जाएँ जैसे कि उन पर आक्रमण हो रहा है.

डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के साथ रहने वालों को डिमेंशिया की सच्चाई को समझना और स्वीकारना होता है और उसके अनुरूप ही व्यक्ति के साथ पेश होना होता है. व्यक्ति क्या कर सकते हैं, क्या नहीं, और उन्हें किस प्रकार की दिक्कत महसूस हो रही है, यह जानना होता है. उसके अनुरूप ही व्यक्ति से उम्मीद रखना उचित है. मदद के तरीके भी ऐसे होने चाहिये जो व्यक्ति की घटी क्षमताओं और सोचने समझने में हुई कमी के बावजूद कारगर हों. व्यक्ति अक्सर बता भी नहीं पाते कि उन्हें क्या महसूस हो रहा है, और कब और कैसी मदद चाहिए, इस कारण देखभाल करने वालों को अधिक सतर्क रहना होता है.

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