पिछले कुछ ब्लॉग पोस्ट से स्पष्ट है कि जिन परिवारों में किसी को डिमेंशिया है, उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. परन्तु भारत में डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के बारे में जागरूकता कम है, और जरूरी सहायता और सेवाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं. समय पर रोग निदान नहीं हो पाता, और कई साल लंबे इस डिमेंशिया के सफर में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
डिमेंशिया से ग्रस्त लोगों और उनकी देखभाल कर रहे परिवार वालों की मदद कैसे करें?
भारत में डिमेंशिया संबंधी नीति और कार्यक्रमों की जरूरत है. उपयुक्त देखभाल प्रणाली बननी चाहिए, जो परिवार वाले अपना सकें. दवाओं के लिए शोध होना चाहिए. निधान और सपोर्ट करने वाले विशेषज्ञों की संख्या कम है; शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा यह क्षमता बढ़ानी होगी. समाज में डिमेंशिया जागरूकता और जानकारी बढ़नी चाहिए. सेवाओं को उपलब्ध कराना होगा. परिवारों को सलाह और सहायता मिलनी चाहिए. इन सब क्षेत्रों में सरकार, विशेषज्ञ, स्वयंसेवक, निजी कंपनी, गैर सरकारी संगठन वाले, इत्यादि, योगदान कर सकते हैं और परिवार वालों का काम कम कर सकते हैं.
आम आदमी भी छोटे और बड़े कामों से परिवार वालों की स्थिति में सुधार ला सकते हैं. हम सब योगदान कर सकते हैं. आस पास के लोगों में लक्षणों के प्रति सतर्क रह सकते हैं, जागरूकता फैला सकते हैं. समाज को डिमेंशिया-फ्रेंडली (dementia-friendly community)बनाने में योगदान कर सकते हैं. डिमेंशिया वाले परिवारों के प्रति संवेदनशील रह सकते हैं, और अपनी हिम्मत के अनुसार उनके छोटे-बड़े काम बाँट सकते हैं. हम उनके तनाव और डिप्रेशन में उनके साथ रह सकते हैं, और उन्हें भावनात्मक सपोर्ट दे सकते हैं. हम किसी डिमेंशिया-संबंधी संस्था से संपर्क करके अपना समय, कौशल और पैसे भी दे सकते हैं. हम शोध और सर्वे में भी भाग ले सकते हैं.
हम सब डिमेंशिया वाले परिवारों की मदद कैसे कर सकते हैं, इस पर कुछ सुझावों का चित्रण नीचे देखें. यह चित्र एक चार-भाग वाले इन्फोग्राफिक का चौथा भाग है.
ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कुछ लिंक
- भारत में डिमेंशिया की स्थिति: 2015 (चित्रण) (Dementia in India: An overview in Hindi)
- डिमेंशिया और देखभाल संबंधित अनेक लेख और संसाधन वाला हिंदी वेबसाइट: http://dementiahindi.com
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