भारत में डिमेंशिया (मनोभ्रंश) और देखभाल पर चर्चा

हम डिमेंशिया/ अल्ज़ाइमर से कैसे बच सकते हैं?

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के शुरू के लक्षण मंद होते हैं, पर आगे जाकर व्यक्ति में कई गंभीर और चिंताजनक लक्षण नजर आते हैं, जिन का डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन के हरेक पहलू पर असर होता है. अंतिम चरण में तो व्यक्ति अकसर बिस्तर पर ही होते हैं और हर काम के लिए निर्भर होते हैं.

डिमेंशिया/ अल्ज़ाइमर की गंभीरता पहचानने वाले अकसर पूछते हैं कि यह किसे होता है, क्यों होता है, और हम इससे कैसे बच सकते हैं. डिमेंशिया के लक्षण अनेक रोगों से पैदा हो सकते हैं (अल्ज़ाइमर इन में मुख्य है). अब तक वैज्ञानिकों को डिमेंशिया का कोई पक्का कारण नहीं पता, और न ही उन्हें इस से बचने का कोई पक्का तरीका मालूम है, पर हम डिमेंशिया के जोखिम कारकों को जानते हैं. और हम अपनी जीवन शैली में कुछ बदलाव करके अपनी डिमेंशिया की संभावना को कम कर सकते हैं.

इस हिंदी प्रेजेंटेशन में देखिये डिमेंशिया किसे हो सकता है, इस के जोखिम कारक क्या हैं, और आप इस की संभावना कम करने के लिए क्या कर सकते हैं. यह प्रस्तुति अब तक के शोध पर आधारित है और इस में अनेक ऐसे कारगर उपाय हैं, जिन से डिमेंशिया की संभावना के साथ-साथ अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना भी कम होगी. इस प्रेजेंटेशन में उदाहरण और चित्र भी हैं.

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मनोभ्रंश (डिमेंशिया) पर जानकारी

डिमेंशिया: एक गंभीर समस्या (सिर्फ “भूलने” की बीमारी नहीं)

अकसर लोग डिमेंशिया को सिर्फ एक भूलने की बीमारी के नाम से जानते हैं. वे सोचते हैं कि याददाश्त की समस्या ही डिमेंशिया का एकमात्र या प्रमुख लक्षण है. पर याददाश्त की समस्या तो डिमेंशिया के लक्षणों में से सिर्फ एक है– डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिन का डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन के हरेक पहलू पर असर होता है. व्यक्ति को अपने साधारण दैनिक कार्यों में दिक्कतें होती हैं, और ये दिक्कतें समय के साथ बढ़ती जाती हैं. सहायता की जरूरत भी बढ़ती जाती है, और देखभाल का काम मुश्किल होता जाता है.

इस हिंदी प्रेजेंटेशन में देखिये डिमेंशिया क्या है, इस में मस्तिष्क में कैसी हानि होती है, लक्षण क्या हैं, और समय के साथ क्या होता है, और यह किस किस प्रकार का हो सकता है. इस के इलाज संभव हैं या नहीं, और इस की संभावना कम करने के लिए डॉक्टर क्या सुझाव देते हैं, इस पर भी स्लाइड हैं. देखभाल करने वालों को क्या करना होता है, इस पर चर्चा देखिये. इस प्रेजेंटेशन में उदाहरण और चित्र भी हैं.

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मनोभ्रंश (डिमेंशिया) पर जानकारी

Possible protective measures against dementia डिमेंशिया की संभावना कम करने के उपाय

वर्तमान जानकारी के अनुसार ऐसा अभी कोई रास्ता नहीं है जिससे हम डिमेंशिया से शत-प्रतिशत सुरक्षित रहें. परन्तु यह माना जाता है कि जीवनशैली में परिवर्तन करने से डिमेंशिया की संभावना कम हो सकती है. अन्य समस्याओं से स्वयं को बचा पाएँ (जैसे कि उच्च रक्त-चाप), तब भी डिमेंशिया की संभावना कम हो सकती है.

इस विषय पर चर्चा में, Dementia India Report 2010 में दो प्रकार के डिमेंशिया के फैक्टर का जिक्र है:

  • ऐसे तत्व जिनमे हम परिवर्तन नहीं कर सकते (अपरिवर्तनीय, Non-modifiable factors), और
  • ऐसे तत्व जो हम शायद बदल पाएँ, और जिनको बदलने से हम डिमेंशिया की संभावना घटा सकते हैं (परिवर्तनीय, Potentially modifiable factors)

रिपोर्ट के अनुसार, अपरिवर्तनीय तत्व की सूची है:

  • उम्र (बढ़ती उम्र) (Age)
  • परिवार में अन्य लोगों के डिमेंशिया होना (Family history)
  • हमारे डीएनए (DNA) में ApoE4 एलील का मौजूद होना (ApoE4 allele)
  • महिला होना (Female sex)
  • अवसाद (Depression)
  • सर पर आघात (Head trauma)
  • क्रोमोसोम 1,14,21 में उत्परिवर्तन (विकार) (Mutation on 1,14,21 chromosome)
  • डाउंस संलक्षण (सिड्रोम) (Down’s syndrome)

जैसे कि स्पष्ट है, ये ऐसे तत्व हैं जिन पर आप पूरी तरह नियंत्रण नहीं कर सकते. समय के साथ साथ तो उम्र तो बढ़ेगी ही. परिवार में अन्य लोगों को डिमेंशिया है, आप इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते. आप अगर महिला हैं, और महिला होने के कारण डिमेंशिया का खतरा अधिक है, तो महिला होने के कारण जो आपको खतरा है, आप उसे नहीं बदल सकते. आपको विरासत में जो जीन मिली हैं, आप उनको नहीं बदल सकते, वगैरह, वगैरह.

परन्तु कुछ अन्य तत्व ऐसे हैं जिन पर आपका ज्यादा नियंत्रण है, और आप इनको बदलने की कोशिश कर सकते हैं. इन परिवर्तन द्वारा आप अपनी डिमेंशिया होने की संभावना को कम कर सकते हैं. यह माना जाता है कि यदि डिमेंशिया के खतरे को कम करना है, तो परिवर्तनीय तत्वों पर ध्यान देना उचित होगा.

Dementia India Report 2010 के अनुसार परिवर्तनीय तत्व की सूची है:

  • नाड़ी-सम्बंधी रोग (संवहनी रोग) (Vascular Disease)
  • उच्च रक्त-चाप (Hypertension)
  • मधुमेह (Diabetes)
  • वसा असंतुलन (Dyslipidaemia)
  • पोषक तत्वों की कमी (विटामिन बी) (Nutritional deficiency (Vit B))
  • धूम्रपान (Smoking)
  • मदिरापान (Alcohol)
  • मोटापा (Obesity)
  • आहार (Diet)

मोटे तौर पर यह माना जाता है कि स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से डिमेंशिया की संभावना कम होती है. अपने वजन का नियंत्रण रखें, पौष्टिक भोजन लें, अच्छी मात्रा में ताजे फल और सब्जी खाएं. नियमित व्यायाम करें. मानसिक रूप से सक्रिय रहें(जैसे कि नई चीजें सीखते रहें). अन्य जीवन-शैली से सम्बंधित बीमारियों से अपने को बचाएं, जैसे कि मधुमेह, उच्च रक्त-चाप, हृदय-रोग. सक्रिय रहें, मेल-जोल और दोस्तियां बनाए रखें. वैसे भी, इन सब से जीने का स्तर अधिक अच्छा रहेगा.

और हाँ, सर पर आघात होने से भी डिमेंशिया हो सकता है. दुर्घटना तो किसी के साथ हो सकती है, पर जितना संभव हो, उतना अपने सर को चोट से बचाए रखें 🙂

इन सब के बावजूद यदि लगे कि शायद डिमेंशिया जैसे कुछ लक्षण हैं, तो डॉक्टर से सलाह करें–याद रखें, डिमेंशिया किसी को भी हो सकता है. बचाव के उपाय अपनाने से डिमेंशिया का खतरा कम तो हो सकता है, परन्तु पूरी तरह नहीं मिटेगा.