कोविड महामारी के कारण डिमेंशिया वाले व्यक्ति की देखभाल में अनेक नई चुनौतियां नजर आ रही हैं. व्यक्ति को संक्रमण (इन्फेक्शन) से बचाए रखना जरूरी है, और बदले माहौल के हिसाब से देखभाल व्यवस्था एडजस्ट करने की जरूरत है. व्यक्ति को उचित चिकित्सीय सहायता की भी जरूरत है. इन सब चुनौतियों से जूझ पाने के लिए देखभाल करने वालों को सहायता और सेवाओं का उपयोग करना होगा और स्व-देखभाल भी करनी होगी ताकि तनाव न बढ़े. इन विषयों के लिए नीचे देखें एक चार चित्रण की प्रस्तुति और विस्तृत लेखों के लिंक:
डिमेंशिया/ अल्जाइमर होने के जोखिम को कम करने के कुछ तरीके, चित्रों द्वारा
हम डिमेंशिया/ अल्ज़ाइमर से कैसे बच सकते हैं?
डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के शुरू के लक्षण मंद होते हैं, पर आगे जाकर व्यक्ति में कई गंभीर और चिंताजनक लक्षण नजर आते हैं, जिन का डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन के हरेक पहलू पर असर होता है. अंतिम चरण में तो व्यक्ति अकसर बिस्तर पर ही होते हैं और हर काम के लिए निर्भर होते हैं.
डिमेंशिया/ अल्ज़ाइमर की गंभीरता पहचानने वाले अकसर पूछते हैं कि यह किसे होता है, क्यों होता है, और हम इससे कैसे बच सकते हैं. डिमेंशिया के लक्षण अनेक रोगों से पैदा हो सकते हैं (अल्ज़ाइमर इन में मुख्य है). अब तक वैज्ञानिकों को डिमेंशिया का कोई पक्का कारण नहीं पता, और न ही उन्हें इस से बचने का कोई पक्का तरीका मालूम है, पर हम डिमेंशिया के जोखिम कारकों को जानते हैं. और हम अपनी जीवन शैली में कुछ बदलाव करके अपनी डिमेंशिया की संभावना को कम कर सकते हैं.
इस हिंदी प्रेजेंटेशन में देखिये डिमेंशिया किसे हो सकता है, इस के जोखिम कारक क्या हैं, और आप इस की संभावना कम करने के लिए क्या कर सकते हैं. यह प्रस्तुति अब तक के शोध पर आधारित है और इस में अनेक ऐसे कारगर उपाय हैं, जिन से डिमेंशिया की संभावना के साथ-साथ अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना भी कम होगी. इस प्रेजेंटेशन में उदाहरण और चित्र भी हैं.
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डिमेंशिया: एक गंभीर समस्या (सिर्फ “भूलने” की बीमारी नहीं)
अकसर लोग डिमेंशिया को सिर्फ एक भूलने की बीमारी के नाम से जानते हैं. वे सोचते हैं कि याददाश्त की समस्या ही डिमेंशिया का एकमात्र या प्रमुख लक्षण है. पर याददाश्त की समस्या तो डिमेंशिया के लक्षणों में से सिर्फ एक है– डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिन का डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन के हरेक पहलू पर असर होता है. व्यक्ति को अपने साधारण दैनिक कार्यों में दिक्कतें होती हैं, और ये दिक्कतें समय के साथ बढ़ती जाती हैं. सहायता की जरूरत भी बढ़ती जाती है, और देखभाल का काम मुश्किल होता जाता है.
इस हिंदी प्रेजेंटेशन में देखिये डिमेंशिया क्या है, इस में मस्तिष्क में कैसी हानि होती है, लक्षण क्या हैं, और समय के साथ क्या होता है, और यह किस किस प्रकार का हो सकता है. इस के इलाज संभव हैं या नहीं, और इस की संभावना कम करने के लिए डॉक्टर क्या सुझाव देते हैं, इस पर भी स्लाइड हैं. देखभाल करने वालों को क्या करना होता है, इस पर चर्चा देखिये. इस प्रेजेंटेशन में उदाहरण और चित्र भी हैं.
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पार्किंसन रोग और डिमेंशिया (Parkinson’s Disease and Dementia)
हम में से कई लोगों ने पार्किंसन रोग (Parkinson’s Disease) से ग्रस्त लोगों को देखा है, और हम जानते हैं कि पार्किंसन एक गंभीर समस्या है. दवा से इस में पूरा आराम नहीं मिल पाता, और व्यक्ति की स्थिति समय के साथ खराब होती जाती है. पर आम तौर पर हम पार्किंसन रोग के सिर्फ कुछ मुख्य शारीरिक लक्षण जानते हैं — हम यह नहीं जानते हैं कि इस में अनेक दूसरे प्रकार के लक्षण भी होते हैं. ये भी समय के साथ साथ बिगड़ते जाते हैं, और अनेक तरह से व्यक्ति के जीवन में बाधा डालते हैं. व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं बिता पाते. एक चिंताजनक पहलू है पार्किंसन और डिमेंशिया (मनोभ्रंश, dementia) के बीच का सम्बन्ध: पार्किंसन वाले व्यक्तियों में से कई व्यक्तियों को डिमेंशिया भी हो जाता है.
पार्किंसन रोग मस्तिष्क के कुछ भागों में विकार के कारण होता है. इसकी खास पहचान वाले लक्षण हैं: कंपन (ट्रेमर), जकड़न, काम करने में धीमापन, गति में बदलाव, शारीरिक संतुलन (बैलैंस) में दिक्कत. इस रोग को अकसर मोटर डिसॉर्डर या मूवमेंट डिसॉर्डर भी कहा जाता है (हरकत में विकार).
पार्किंसन के ऐसे भी कई लक्षण हैं जिन का चलने फिरने या हरकत से सम्बन्ध नहीं है. उदाहरण- मूड के विकार, ध्यान लगाने में समस्या, योजना न बना पाना, याददाश्त की समस्या, दृष्टि भ्रम, पेशाब करने में दिक्कत, सूंघने की काबिलियत खो देना, नींद में समस्या, वगैरह.
पार्किंसन रोग एक प्रगतिशील विकार हैं. इस के अधिकाँश केस बड़ी उम्र के लोगों में होते हैं, पर यह कम उम्र में भी हो सकता है. इसके लक्षण समय के साथ बिगड़ते जाते हैं. चलने फिरने और शरीर पर नियंत्रण रख पाने की समस्याएँ बहुत गंभीर हो जाती हैं. इस के अलावा अन्य लक्षण भी ज्यादा बढ़ जाते हैं जैसे कि शरीर में दर्द, थकान, और रक्तचाप कम होना. निगलने में दिक्कत होने लगती है, और सही मात्रा में जल और पौष्टिक खाना देना मुश्किल हो जाता है. अग्रिम अवस्था में पार्किंसन से ग्रस्त व्यक्ति डिमेंशिया और डिप्रेशन के शिकार भी हो सकते हैं.
पार्किंसन और डिमेंशिया के बीच का सम्बन्ध चिंताजनक है, क्योंकि दोनों ही बहुत गंभीर रोग हैं. कुछ अनुमान के अनुसार करीब एक-तिहाई पार्किंसन रोगियों को डिमेंशिया होगा. इसे पार्किन्संस रोग डिमेंशिया (Parkinson’s Disease Dementia) कहते हैं.
पार्किंसन रोग और डिमेंशिया के बीच एक दूसरा सम्बन्ध भी है. कुछ प्रकार के डिमेंशिया में व्यक्ति में पर्किन्सोनिस्म (पार्किन्सन किस्म के लक्षण) भी हो सकता है. “डिमेंशिया विथ लुइ बॉडीज” (Dementia with Lewy Bodies) नामक डिमेंशिया में यह लक्षण आम हैं: अनुमान है की इस प्रकार के डिमेंशिया में करीब दो-तिहाई लोगों में हरकत की समस्याएँ होंगी.
अब तक के शोध से यह पता चला है कि पार्किंसन रोग में और लुइ बॉडी डिमेंशिया में मस्तिष्क में हुए बदलाव में समानता है—दोनों में मस्तिष्क की कोशिकाओं (मस्तिष्क के सेल) में एक असामान्य संरचना, “लुइ बॉडी”, पायी जाती है. “लुइ बॉडी” की उपस्थिति के महत्त्व को समझने की कोशिश जारी है. कुछ विशेषज्ञों का विचार है कि “पार्किन्संस रोग डिमेंशिया” और “डिमेंशिया विथ लुइ बॉडीज” मस्तिष्क में एक खास प्रोटीन से संबंधित एक विकार के दो अलग रूप हैं. इन दोनों में अग्रिम अवस्था में लक्षण और भी सामान होते जाते हैं.
वर्तमान रोग-निदान प्रणाली के हिसाब से “पार्किन्संस रोग डिमेंशिया” और “डिमेंशिया विथ लुइ बॉडीज”, दोनों एक श्रेणी (“लुइ बॉडी डिमेंशिया”, Lewy Body Dementia) के अंतर्गत दो अलग रोग-निदान हैं. कौन से लक्षण किस क्रम में होते हैं, रोग-निदान में इस्तेमाल नाम उस पर निर्भर है. यह नाम मिलते जुलते हैं, और कुछ डॉक्टर कभी किसी नाम का इस्तेमाल करते हैं, कभी किसी दूसरे नाम का. परिवारों के लिए यह काफी कन्फ्यूजन पैदा करता है.
परिवार वालों को इस बात से कोई खास वास्ता नहीं है कि मस्तिष्क के सेल में क्या नुकसान हो रहा है, या विशेषज्ञ किस नाम पर सहमत होंगे. वे यह जानना चाहते हैं कि व्यक्ति को किस किस तरह की दिक्कतें हो सकती हैं, किस तरह के उपचार संभव हैं, और देखभाल कैसे करनी होगी. इस के लिए पार्किंसंस रोग और डिमेंशिया के बीच के सम्बन्ध पर कुछ मुख्य तथ्य :
- पार्किंसन रोगी के केस में: यदि किसी को पार्किंसन रोग है, तो आम-तौर से पहचाने जाने वाले शारीरिक पार्किंसन किस्म के लक्षणों के अलावा व्यक्ति में दूसरे लक्षण भी होते हैं. व्यक्ति में डिमेंशिया पैदा होने की ऊंची संभावना है.
- डिमेंशिया के लक्षण होने पर: डिमेंशिया वाले व्यक्तियों में पार्किंसन के लक्षण भी हो सकते हैं. पार्किंसन किस्म के लक्षण की समस्या “डिमेंशिया विथ लुइ बॉडीज” वाले लोगों में आम है, और कुछ अन्य प्रकार के डिमेंशिया में भी हो सकती है
- डॉक्टर से जानकारी और सलाह: डॉक्टर स्थिति के अनुसार तय करेंगे कि व्यक्ति को किन लक्षणों में कैसे राहत देने की कोशिश करें. वे देखेंगे कि लक्षण कितने गंभीर हैं और किस क्रम में पेश हुए हैं. रोग-निदान भी डॉक्टर उसी अनुसार देंगे. परिवार वालों को डॉक्टर से खुल कर बात कर लेनी चाहिए ताकि वे देखभाल के लिए तैयार हो पायें.
अधिक जानकारी के लिए रेफरेंस/ हिंदी में जानकारी:
- एक न्यूरोलॉजिस्ट के साईट पर हिंदी में पार्किंसन पर जानकारी: पार्किंसंस रोग की जानकारी हिंदी में
- पार्किंसन पर हिंदी में जानकारी: पार्किन्सन्स रोग.
- लुइ बॉडी डिमेंशिया पर जानकारी (लक्षण, रोग-निदान कैसे होता है, उपचार, रिस्क फैक्टर, अन्य तथ्य). पर्किन्सोनियन डिमेंशिया और डिमेंशिया विथ लुइ बॉडीज के लिए वर्तमान रोग-निदान प्रणाली पर भी चर्चा है: लुइ बॉडी डिमेंशिया .
- डिमेंशिया की जानकारी के लिए विस्तृत हिंदी वेबसाइट और उस पर कुछ उपयोगी पृष्ठ: Dementia Hindi, डिमेंशिया किन रोगों के कारण होता है (Diseases that cause dementia), और निदान, उपचार, बचाव (Dementia Diagnosis, Treatment, Prevention)
अधिक जानकारी के लिए रेफरेंस: कुछ उपयोगी, विश्वसनीय अंग्रेजी वेब साईट और पृष्ठ:
- पार्किंसन रोग पर साईट, और पार्किंसन और डिमेंशिया के सम्बन्ध पर पृष्ठ: Parkinson’s Disease, Dementia and Parkinson’s, Parkinson Disease and Dementia.
- लुइ बॉडी डिमेंशिया और डिमेंशिया विथ लुइ बॉडीज पर चर्चा और और पार्किन्सन रोग और डिमेंशिया के बीच सम्बन्ध पर अनुमान: What is dementia with Lewy bodies (DLB)? (Alzheimer’s Society, UK) (अंग्रेज़ी PDF डाउनलोड उपलब्ध)
- डिमेंशिया विथ लुइ बॉडीज/ लुइ बॉडी डिमेंशिया पर अन्य उपयोगी पृष्ठ: Dementia with Lewy Bodies (Alzheimer’s Association, USA), पार्किन्सन वालों में डिमेंशिया होने पर कुछ और जानकारी और कुछ आंकड़े Parkinsons Disease Dementia (Alzheimer’s Association, USA), और Lewy Body Dementia: Information for Patients, Families, and Professionals (National Institute on Aging, USA)
डिमेंशिया से सम्बंधित अन्य रोगों पर हिंदी में विस्तृत पृष्ट देखें:
- स्ट्रोक (आघात) और डिमेंशिया (मनोभ्रंश) (Stroke and Dementia).
- डिप्रेशन (अवसाद) और डिमेंशिया (Depression and Dementia).
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डिप्रेशन (अवसाद) और डिमेंशिया (Depression and Dementia)
पिछले कुछ सालों में मीडिया में डिप्रेशन पर ज्यादा खुल कर चर्चा होने लगी है, खास-तौर से दीपिका पादुकोण और करण जौहर जैसी मशहूर हस्तियों के अनुभव सुनकर. पर डिप्रेशन के एक पहलू पर अब भी चर्चा कम है — डिप्रेशन का अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से सम्बन्ध.
रिसर्च के अनुसार डिप्रेशन (अवसाद) और डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के बीच में सम्बन्ध है. यह पाया गया है कि जिन लोगों में डिप्रेशन है, उनमें (आम व्यक्तियों के मुकाबले) डिमेंशिया ज्यादा देखा जाता है. इस पोस्ट में:
डिप्रेशन के बारे में
कई लोग किसी बुरी घटना के बाद हुई उदासी या निराशा के लिए “डिप्रेशन” शब्द का इस्तेमाल करते हैं. पर बुरी घटनाओं से उदास होना एक सामान्य प्रक्रिया है. चिकित्सीय (मेडिकल) भाषा में “डिप्रेशन (अवसाद)” एक ऐसा मानसिक विकार है जिस में उदासी, निराश, अरुचि जैसी भावनाएं कम से कम दो हफ्ते से मौजूद हैं, और जिन के कारण व्यक्ति के जीवन में बाधा होती है. इस में इलाज की जरूरत है.
डिप्रेशन (अवसाद) किसी को भी हो सकता है. डिप्रेशन में व्यक्ति उदास रहते हैं, पसंद वाली गतिविधियों में रुचि खो देते हैं, ठीक से सो नहीं पाते, ठीक से खा नहीं पाते, और थके-थके रहते हैं. उन्हें ध्यान लगाने में दिक्कत होती है. सोच नकारात्मक हो जाती है. किसी भी काम में आनंद नहीं आता. वे खुद को दोषी समझते हैं. आत्मविश्वास कम हो जाता है. रोज के साधारण काम करने का मन नहीं होता. वे सामाजिक और व्यवसाय संबंधी काम भी नहीं करना चाहते. कुछ डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति इतने निराश हो जाते हैं कि आत्महत्या करना चाहते हैं.
डिप्रेशन का प्रकरण (depressive episode, डिप्रेसिव एपिसोड) कम से कम दो हफ्ते लम्बे होता है, पर अधिक लंबा भी हो सकता है. व्यक्ति को ऐसे एपिसोड बार-बार हो सकते हैं.
डिप्रेशन के लिए इलाज उपलब्ध हैं, जैसे कि अवसाद-निरोधी दवा और अनेक प्रकार की थैरेपी और गैर-दवा वाले उपचार. और अगर डिप्रेशन किसी अन्य बीमारी के कारण हुआ है (जैसे कि थाइरोइड हॉर्मोन की कमी), तो उस बीमारी को ठीक करने से डिप्रेशन दूर हो सकता है. उचित उपचार और जीवन शैली में बदलाव से अधिकाँश लोगों को डिप्रेशन से आराम मिल पाता है और वे सामान्य जीवन बिता पाते हैं.
(डिप्रेशन पर हिंदी में कुछ और जानकारी के लिए नीचे “अधिक जानकारी के लिए रेफेरेंस और उपयोगी संसाधन” में लिंक हैं)
डिमेंशिया के बारे में
डिमेंशिया एक ऐसा लक्षणों का समूह है जिस में व्यक्ति की याददाश्त में, सोचने-समझने और तर्क करने की क्षमता में, व्यक्तित्व, मनोभाव (मूड) और व्यवहार में, बोलने में, और अनेक अन्य मस्तिष्क से संबंधी कामों में दिक्कत होती है. इन लक्षणों के कारण व्यक्ति को दैनिक कार्यों में दिक्कत होती है, और यह दिक्कत समय के साथ बढ़ती जाती है. व्यक्ति अकेले अपने काम नहीं कर पाते. दूसरों पर निर्भरता बढ़ती जाती है.
डिमेंशिया किसी को भी हो सकता है, पर बड़ी उम्र के लोगों में ज्यादा पाया जाता है. ध्यान रखें, डिमेंशिया उम्र बढ़ने की सामान्य प्रक्रिया नहीं है. यह मस्तिष्क में हुई हानि के कारण होता है—जैसे कि मस्तिष्क के सेल का नष्ट होना, सेल के बीच के कनेक्शन में नुकसान, और मस्तिष्क का सिकुड़ना. ऐसे कई रोग हैं जिन में मस्तिष्क में इस तरह की हानि हो सकती है. चार रोग मुख्य हैं: अल्ज़ाइमर रोग, संवहनी डिमेंशिया, लुइ बॉडी डिमेंशिया, और फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया. अब तक ऐसी कोई दवा उपलब्ध नहीं है जिस से मस्तिष्क की हानि ठीक हो सके. डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति फिर से सामान्य नहीं हो सकते. डिमेंशिया के अंतिम चरण तक पहुँचते-पहुँचते व्यक्ति पूरी तरह निष्क्रिय और निर्भर हो जाते हैं.
(डिमेंशिया पर हिंदी में विस्तृत जानकारी के लिए नीचे “अधिक जानकारी के लिए रेफेरेंस और उपयोगी संसाधन” में लिंक हैं)
डिप्रेशन और डिमेंशिया के बीच का सम्बन्ध
रिसर्च से यह तो पता चल पाया है कि डिमेंशिया और डिप्रेशन में सम्बन्ध है, पर यह सम्बन्ध क्या है, इस पर अभी पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है. शोध जारी है. अब तक के रिसर्च के आधार पर विशेषज्ञ मानते हैं कि डिमेंशिया और डिप्रेशन के बीच कई तरह के सम्बन्ध हैं.
डिप्रेशन डिमेंशिया का एक कारक माना जाता है. डिप्रेशन वाले व्यक्ति में डिमेंशिया होने से संभावना ज्यादा है. कुछ विशेषज्ञों की राय है कि यह इस लिए है क्योंकि डिप्रेशन में मस्तिष्क में कई बदलाव होते हैं, और संवहनी समस्याएँ (नाड़ी संबंधी समस्याएँ) भी हो सकती हैं, और इन बदलाव के कारण डिमेंशिया की संभावना ज्यादा होती है. सब डिप्रेशन वाले लोगों को डिमेंशिया नहीं होगा, पर उन में डिमेंशिया की संभावना दूसरों के मुकाबले ज्यादा है.
डिप्रेशन को डिमेंशिया के एक लक्षण के रूप में पहचाना गया है. यह सबसे पहले प्रकट होने वाले लक्षणों में भी शामिल हो सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार डिमेंशिया में हुए मस्तिष्क में बदलाव के कारण जो लक्षण होते हैं, उनमें से डिप्रेशन भी एक संभव लक्षण है. यानी कि, डिमेंशिया का एक संभव नतीजा है डिप्रेशन, और हम डिमेंशिया को डिप्रेशन का कारक समझ सकते हैं
अन्य प्रकार के सम्बन्ध: डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को कई दिक्कतें होती हैं और व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं बिता पाते. व्यक्ति अपनी कम हो रही कार्यक्षमता से बहुत मायूस हो सकते हैं, और नतीजन उन्हें डिप्रेशन हो सकता है. डिप्रेशन और डिमेंशिया के बीच अन्य प्रकार के सम्बन्ध भी संभव हैं, जिन में किसी दूसरी ही वजह से डिप्रेशन और डिमेंशिया साथ साथ नजर आ रहे हैं (सह-विद्यमान हैं, co-existing).
कोशिश करें कि डिप्रेशन के प्रति सतर्क रहें, खासकर बड़ी उम्र के लोगों में
डिप्रेशन का व्यक्ति पर बहुत गंभीर असर पड़ता है, इस लिए इस के प्रति सतर्क रहना और सही निदान और उपचार पाना जरूरी है. पर समाज में जागरूकता कम होने के कारण लोग अक्सर इसे पहचान नहीं पाते और डॉक्टर की सलाह नहीं लेते.
वृद्ध लोगों में सही निदान की समस्या अधिक है, क्योंकि डिप्रेशन के लक्षण देखने पर परिवार वाले सोचते हैं कि व्यक्ति रिटायर हो चुके हैं या बूढ़े हैं इस लिए गुमसुम रहते हैं और गतिविधियों में भाग नहीं लेते.
डिप्रेशन के प्रति सतर्क रहने के और जल्द-से-जल्द डॉक्टर से संपर्क करने के कई फायदे हैं:
- यदि व्यक्ति को डिप्रेशन है, तो उपचार से फायदा हो सकता है. डिप्रेशन का इलाज संभव है, तो व्यक्ति व्यर्थ में तकलीफ क्यों सहे!
- डिप्रेशन को पहचानने से और उचित इलाज से डिमेंशिया की संभावना कम करी जा सकती है. बड़ी उम्र के लोगों में डिप्रेशन और डिमेंशिया का सम्बन्ध खास तौर से महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि डिमेंशिया का खतरा वृद्धों में ज्यादा होता है. यदि पता हो कि व्यक्ति को डिप्रेशन है तो डॉक्टर और परिवार वाले व्यक्ति में डिमेंशिया के लक्षण के लिए ज्यादा सतर्क रह सकते हैं
- यदि व्यक्ति को डिप्रेशन और डिमेंशिया दोनों हैं, तो डॉक्टर डिप्रेशन के उपचार के अलावा डिमेंशिया का रोग-निदान भी कर पायेंगे, और डिमेंशिया के बारे में जानकारी और सलाह भी दे पायेंगे. परिवार वाले भी व्यक्ति की स्थिति ज्यादा अच्छी तरह समझ सकते हैं और देखभाल के लिए सही इंतजाम कर सकते हैं
- डिप्रेशन का सम्बन्ध अन्य भी कुछ बीमारियों से है, जैसे कि हृदय रोग. इस लिए डिप्रेशन के रोग-निदान और इलाज से दूसरे स्वास्थ्य-संबंधी फायदे भी हैं.
अधिक जानकारी के लिए रेफेरेंस और उपयोगी संसाधन
- डिप्रेशन पर हिंदी में अधिक जानकारी के लिए यह पृष्ठ देखें: अवसाद (डिप्रेशन)
- डिमेंशिया पर हिंदी में अधिक जानकारी के लिए यह विस्तृत वेबसाईट देखें: http://dementiahindi.com/ , ख़ास तौर से पृष्ठ डिमेंशिया क्या है (What is dementia) और निदान, उपचार, बचाव (Dementia Diagnosis, Treatment, Prevention)
- डिमेंशिया के रिस्क फैक्टर पर विस्तृत चर्चा इस अंग्रज़ी रिपोर्ट में (डिप्रेशन और डिमेंशिया के सम्बन्ध के लिए चैप्टर 3 देखें World Alzheimer Report 2014–Dementia and Risk Reduction: An analysis of protective and modifiable factors (PDF File)
- डिप्रेशन और हृदय रोग के सम्बन्ध पर इस अंग्रेजी पृष्ठ को देखें : Depression and Heart Disease
डिमेंशिया से सम्बंधित अन्य रोगों पर हिंदी में विस्तृत पृष्ट देखें:
- स्ट्रोक (आघात) और डिमेंशिया (मनोभ्रंश) (Stroke and Dementia).
- पार्किंसन रोग और डिमेंशिया (Parkinson’s Disease and Dementia).
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डिमेंशिया के मुख्य प्रकार (भाग 4): अल्ज़ाइमर रोग
डिमेंशिया के लक्षण कई रोगों के कारण हो सकते हैं। अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease, AD) सबसे ज्यादा पाया जाने वाला डिमेंशिया रोग है। यह माना जाता है कि अल्जाइमर रोग डिमेंशिया के करीब 50-75% केस के लिए जिम्मेदार है। यह अकेले भी पाया जाता है, और अन्य डिमेंशिया के साथ भी मौजूद हो सकता है (जैसे कि संवहनी मनोभ्रंश या लुई बॉडी डिमेंशिया के साथ)।
[यह पोस्ट अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease, AD) : एक परिचय पृष्ठ का एक संक्षिप्त संस्करण है।]
अल्ज़ाइमर रोग में मस्तिष्क में हानि होती है-मस्तिष्क में न्यूरोफिब्रिलरी टैंगिल और बीटा-एमीलायड प्लैक देखे जाते हैं, और मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है. मस्तिष्क की हानि के कारण व्यक्ति में लक्षण नजर आते हैं। शुरू में ये लक्षण हलके होते हैं और कई बार लोग इन पर ध्यान नहीं देते। सबसे आम प्रारंभिक लक्षण है याददाश्त की समस्या। इस लिए इस रोग को कई लोग “भूलने की बीमारी”, “स्मृति-लोप” और “याददाश्त की समस्या” के नाम से भी जाना जाता है। शुरू में अन्य भी कई लक्षण होते हैं, जैसे की अवसाद, अरुचि, समय और स्थान का सही बोध न होना, वगैरह।
अल्ज़ाइमर रोग एक प्रगतिशील रोग है, और इस में हो रही मस्तिष्क में हानि समय के साथ बढ़ती जाती है। लक्षण भी गंभीर होते जाते हैं। व्यक्ति को सभी कामों में दिक्कत होने लगती है। रोग के अंतिम चरण में व्यक्ति अधिकाँश समय बिस्तर पर ही रहते हैं और पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं।
अल्ज़ाइमर रोग किसी को भी हो सकता है। यह बड़ी उम्र के लोगों में अधिक देखा जाता है, पर कम उम्र में भी हो सकता है।
अफ़सोस, अल्ज़ाइमररोग लाइलाज है। इस को रोकने या ठीक करने के लिए दवा नहीं है। पर कुछ दवा और गैर-दवा वाले उपचार से लक्षणों से कुछ राहत मिल पाती है।
इस रोग से बचने के लिए कोई पक्का तरीका मालूम नहीं है, पर यह माना जाता है कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन शैली से इस की संभावना कुछ कम हो सकती है। हृदय स्वास्थ्य के लिए जो कदम उपयोगी है, वे इस से बचाव में भी उपयोगी हैं (What is good for the heart is good for the brain)।
यह पोस्ट अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease, AD) : एक परिचय पृष्ठ का एक संक्षिप्त संस्करण है। अल्ज़ाइमर रोग पर अधिक जानकारी के लिए और अन्य संसाधन के लिए क्लिक करें: अल्ज़ाइमर रोग(Alzheimer’s Disease, AD) : एक परिचय पृष्ठ — इस पृष्ठ पर चर्चा के विषय हैं: अल्ज़ाइमर रोग क्या है, इस के लक्षण क्या हैं, यह समय के साथ कैसे बिगड़ता है, यह किसे हो सकता है, रोग-निदान और उपचार, यह किसे हो सकता है, उम्र और इस रोग के बीच का सम्बन्ध, अब तक ज्ञात कारक, रोग की अवधि, और अधिक जानकारी और सपोर्ट के लिए उपलब्ध संसाधन।
अन्य प्रमुख प्रकार के डिमेंशिया पर भी हिंदी पृष्ठ देखें:
- संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया, Vascular dementia): एक परिचय
- फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया (Frontotemporal Dementia, FTD): एक परिचय
- लुई बॉडी डिमेंशिया (Lewy Body Dementia): एक परिचय
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डिमेंशिया के मुख्य प्रकार (भाग 3): फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया
फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया (मनोभ्रंश) चार प्रमुख डिमेंशिया के प्रकारों में से एक है। यह अन्य प्रकार के डिमेंशिया से कई महत्त्वपूर्ण बातों में फर्क है और इस कारण अकसर पहचाना नहीं जाता। इस से ग्रस्त व्यक्तियों की देखभाल में भी ज्यादा कठिनाइयाँ होती हैं।
[यह पोस्ट फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया (Frontotemporal Dementia, FTD): एक परिचय पृष्ठ का एक संक्षिप्त संस्करण है।]
फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया की एक ख़ास बात यह है कि इस के अधिकांश केस 65 से कम उम्र के लोगों में होते हैं। क्योंकि लोग सोचते हैं कि डिमेंशिया सिर्फ बुजुर्गों में होता है, इस लिए कम उम्र वाले फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया व्यक्तियों को अकसर रोग निदान सही समय पर नहीं मिल पाता।
फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया में मस्तिष्क में फ्रंटल लोब में और टेम्पोरल लोब में विकार होता है, और लक्षण इन लोब के काम से सम्बंधित होते हैं। शुरू के लक्षण हैं–व्यक्तित्व और व्यवहार में बदलाव और भाषा संबंधी समस्याएँ; शुरू में याददाश्त संबंधी लक्षण नहीं होते।
यह डिमेंशिया प्रगतिशील और ला-इलाज है—अभी इस को रोकने या धीमे करने के लिए कोई दवाई नहीं है। पर दवा, व्यायाम, शारीरिक और व्यावसायिक थेरपी, और स्पीच थेरपी से व्यक्ति को कुछ राहत दी जा सकती है। अब तक प्राप्त जानकारी के हिसाब से, इस डिमेंशिया का अब तक मालूम रिस्क फैक्टर (कारक) सिर्फ फैमिली हिस्ट्री है (परिवार में अन्य लोगों को यह या ऐसा कोई रोग होना)
वैसे तो सभी डिमेंशिया में देखभाल में चुनौतियाँ होती हैं, पर फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया में देखभाल ख़ास तौर के कठिन होती है। व्यक्ति को यह रोग कम उम्र में ही हो जाता है, और व्यक्ति के कमाने की क्षमता चली जाती है। परिवार को अनेक दिक्कतें होती हैं: पैसे की दिक्कत, बदला व्यवहार संभालना ज्यादा मुश्किल, समाज में बदले व्यवहार के कारण दिक्कत, और बाद में व्यक्ति की शारीरिक कमजोरी के संभालने में दिक्कत। इस के लिए उपयुक्त सेवाएँ बहुत ही कम हैं, और स्वास्थ्य कर्मियों में भी जानकारी बहुत ही कम है।
यह पोस्ट फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया (Frontotemporal Dementia, FTD): एक परिचय पृष्ठ का एक संक्षिप्त संस्करण है। अधिक जानकारी के लिए देखें: फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया (Frontotemporal Dementia, FTD): एक परिचय, जिस पर चर्चा के विषय हैं: : फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया क्या है, इस के लक्षण, फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया वर्ग में शामिल रोग पर जानकारी, यह किसे हो सकता है, रोग-निदान और उपचार, देखभाल में पेश खास कठिनाइयाँ, और अधिक जानकारी और सपोर्ट के लिए लिंक।
अन्य प्रमुख प्रकार के डिमेंशिया पर भी हिंदी पृष्ठ देखें:
- अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease, AD) : एक परिचय
- संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया, Vascular dementia): एक परिचय
- लुई बॉडी डिमेंशिया (Lewy Body Dementia): एक परिचय
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डिमेंशिया के मुख्य प्रकार (भाग 2): लुई बॉडी डिमेंशिया
लुई बॉडी डिमेंशिया (मनोभ्रंश) चार प्रमुख प्रकार का डिमेंशिया में से एक है। परन्तु इस के बारे में जानकारी बहुत कम है और इस का अकसर सही रोग निदान नहीं हो पाता। रोग-निदान समय से न मिल पाने के कारण व्यक्ति को अधिक दिक्कत होती है, और देखभाल भी ठीक से करना ज्यादा मुश्किल होता है।
[यह पोस्ट लुई बॉडी डिमेंशिया (Lewy Body Dementia): एक परिचय पृष्ठ का एक संक्षिप्त संस्करण है।]
लुई बॉडी डिमेंशिया की खास पहचान है मस्तिष्क की कोशिकाओं में “लुई बॉडी” नामक असामान्य संरचना की उपस्थिति, जो पार्किन्सन रोग में भी पायी जाती है। इस के विशिष्ट लक्षण में प्रमुख हैं — दृष्टि विभ्रम, सोचने-समझने की क्षमता कम होना, और इन का रोज-रोज बहुत भिन्न होना, नींद में व्यवहार विकार, और पार्किंसन किस्म के लक्षण (जैसे कि कम्पन, अकदन, चलने में दिक्कत, वगैरह)।
लुई बॉडी डिमेंशिया प्रगतिशील है और समय के साथ व्यक्ति की हालत खराब होती जाती है। कई तरह के लक्षण होने लगते हैं. हर काम में दिक्कत होने लगती है। अंतिम कारण में व्यक्ति पूरी तरह निर्भर हो जाते है।
लुई बॉडी डिमेंशिया लाइलाज है—दवा से न तो हम इसे रोक सकते हैं, न ही इस के बढ़ने की गति को धीमा कर सकते हैं। हाँ, दवा से लक्षणों से कुछ राहत देने की कोशिश हो सकती है। इस से कैसे बचें, इस के लिए भी कोई उपाय मालूम नहीं है।
लुई बॉडी डिमेंशिया वाले लोगों को कई बार अल्ज का गलत रोग निदान मिल जाता है। इस गलत रोग-निदान से समस्या हो सकती है क्योंकि कुछ दवा जो अल्ज में उपयोगी हो सकती हैं, उन से लुई बॉडी डिमेंशिया वाले लोगों को नुकसान हो सकता है।
इस पर अधिक जानकारी के लिए हमारे इस पृष्ठ को देखें: लुई बॉडी डिमेंशिया (Lewy Body Dementia): एक परिचय पृष्ठ पर चर्चा के विषय हैं: लुई बॉडी डिमेंशिया (मनोभ्रंश) क्या है, इस पर जानकारी की कमी के कारण दिक्कतें, इस के लक्षण, रोग-निदान कैसे होता है, कुछ अन्य तथ्य, उपचार, और अधिक जानकारी और सपोर्ट के लिए उपयोगी संसाधन
अन्य प्रमुख प्रकार के डिमेंशिया पर भी हिंदी पृष्ठ देखें:
- अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease, AD) : एक परिचय
- संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया, Vascular dementia): एक परिचय
- फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया (Frontotemporal Dementia, FTD): एक परिचय
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डिमेंशिया के मुख्य प्रकार (भाग 1): संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया)
संवहनी डिमेंशिया (मनोभ्रंश) एक प्रमुख प्रकार का डिमेंशिया है जो डिमेंशिया के 20-30% केस के लिए जिम्मेदार है। यह अकेले भी पाया जाता है, और अन्य डिमेंशिया के साथ भी मौजूद हो सकता है (जैसे कि अल्ज़ाइमर और लुई बॉडी डिमेंशिया के साथ)।
(यह पोस्ट संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया, Vascular dementia): एक परिचय पृष्ठ का एक संक्षिप्त संस्करण है।)
हमारे मस्तिष्क के ठीक काम करने के लिए मस्तिष्क में खून ठीक से पहुंचना चाहिए। इस के लिए हमारे मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं का एक नेटवर्क होता है (वैस्क्युलर सिस्टम)। संवहनी डिमेंशिया में मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में समस्या होती है, और मस्तिष्क के कुछ भागों में खून की सप्लाई ठीक नहीं रहती। इस तरह की हानि के कारण संवहनी डिमेंशिया के लक्षण नजर आते हैं।
रक्त के प्रवाह में हानि स्ट्रोक सम्बंधित हो सकती है, जब व्यक्ति को स्ट्रोक मिनी-स्ट्रोक हो। अन्य प्रकार की रक्त-वाहिका संबंधी हानि भी हो सकती है: मस्तिष्क में कई छोटी वाहिकाएं हैं जो गहरे भागों (श्वेत पदार्थ) में खून पहुंचाती हैं। इन में कुछ रोगों के कारण हानि हो सकती है, जैसे कि इनका सिकुड़ जाना, अकड़ जाना, इत्यादि (सबकोर्टिकल संवहनी डिमेंशिया)।
संवहनी डिमेंशिया में लक्षण इस पर निर्भर हैं कि हानि कहाँ और कितनी हुई है।
संवहनी डिमेंशिया की एक ख़ास बात यह है कि यदि हम मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में अधिक हानि न होने दें, तो लक्षण भी नहीं बढ़ेंगे। पर यदि व्यक्ति को एक और स्ट्रोक हो जाए, तो रातों-रात लक्षण काफी बिगड़ सकते हैं।
संवहनी डिमेंशिया की संभावना कम करने के लिए, और इस को बढ़ने से रोकने के लिए कारगर उपाय मौजूद हैं। स्वास्थ्य और जीवन शैली पर ध्यान देने से हमारी रक्त वाहिकाएं ठीक रहेंगी। उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, और इस तरह की जीवन-शैली सम्बंधित बीमारियों से बचें, या इन्हें नियंत्रण में रखें। इस से संवहनी डिमेंशिया की संभावना कम होगी, और यदि यह हो भी तो हम इसकी प्रगति धीमी कर सकते हैं। हृदय स्वास्थ्य के लिए जो कदम उपयोगी है, वे रक्त वाहिका समस्याओं से बचने के लिए भी उपयोगी हैं।
यह पोस्ट संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया, Vascular dementia): एक परिचय पृष्ठ का एक संक्षिप्त संस्करण है। संवहनी डिमेंशिया पर अधिक जानकारी के लिए और अन्य संसाधन के लिए क्लिक करें: इस पृष्ठ पर चर्चा के विषय हैं — संवहनी डिमेंशिया (मनोभ्रंश) क्या है, संवहनी डिमेंशिया के प्रकार (स्ट्रोक से संबंधित डिमेंशिया, सबकोर्टिकल संवहनी डिमेंशिया), इस के लक्षण और ये कैसे बढ़ते हैं, इस के उपचार, और इस पर अधिक जानकारी के लिए संसाधन।
अन्य प्रमुख प्रकार के डिमेंशिया पर भी हिंदी पृष्ठ देखें:
- अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease, AD) : एक परिचय
- फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया (Frontotemporal Dementia, FTD): एक परिचय
- लुई बॉडी डिमेंशिया (Lewy Body Dementia): एक परिचय
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