भारत में डिमेंशिया (मनोभ्रंश) और देखभाल पर चर्चा

हम डिमेंशिया/ अल्ज़ाइमर से कैसे बच सकते हैं?

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के शुरू के लक्षण मंद होते हैं, पर आगे जाकर व्यक्ति में कई गंभीर और चिंताजनक लक्षण नजर आते हैं, जिन का डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन के हरेक पहलू पर असर होता है. अंतिम चरण में तो व्यक्ति अकसर बिस्तर पर ही होते हैं और हर काम के लिए निर्भर होते हैं.

डिमेंशिया/ अल्ज़ाइमर की गंभीरता पहचानने वाले अकसर पूछते हैं कि यह किसे होता है, क्यों होता है, और हम इससे कैसे बच सकते हैं. डिमेंशिया के लक्षण अनेक रोगों से पैदा हो सकते हैं (अल्ज़ाइमर इन में मुख्य है). अब तक वैज्ञानिकों को डिमेंशिया का कोई पक्का कारण नहीं पता, और न ही उन्हें इस से बचने का कोई पक्का तरीका मालूम है, पर हम डिमेंशिया के जोखिम कारकों को जानते हैं. और हम अपनी जीवन शैली में कुछ बदलाव करके अपनी डिमेंशिया की संभावना को कम कर सकते हैं.

इस हिंदी प्रेजेंटेशन में देखिये डिमेंशिया किसे हो सकता है, इस के जोखिम कारक क्या हैं, और आप इस की संभावना कम करने के लिए क्या कर सकते हैं. यह प्रस्तुति अब तक के शोध पर आधारित है और इस में अनेक ऐसे कारगर उपाय हैं, जिन से डिमेंशिया की संभावना के साथ-साथ अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना भी कम होगी. इस प्रेजेंटेशन में उदाहरण और चित्र भी हैं.

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मनोभ्रंश (डिमेंशिया) पर जानकारी

डिमेंशिया: एक गंभीर समस्या (सिर्फ “भूलने” की बीमारी नहीं)

अकसर लोग डिमेंशिया को सिर्फ एक भूलने की बीमारी के नाम से जानते हैं. वे सोचते हैं कि याददाश्त की समस्या ही डिमेंशिया का एकमात्र या प्रमुख लक्षण है. पर याददाश्त की समस्या तो डिमेंशिया के लक्षणों में से सिर्फ एक है– डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिन का डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन के हरेक पहलू पर असर होता है. व्यक्ति को अपने साधारण दैनिक कार्यों में दिक्कतें होती हैं, और ये दिक्कतें समय के साथ बढ़ती जाती हैं. सहायता की जरूरत भी बढ़ती जाती है, और देखभाल का काम मुश्किल होता जाता है.

इस हिंदी प्रेजेंटेशन में देखिये डिमेंशिया क्या है, इस में मस्तिष्क में कैसी हानि होती है, लक्षण क्या हैं, और समय के साथ क्या होता है, और यह किस किस प्रकार का हो सकता है. इस के इलाज संभव हैं या नहीं, और इस की संभावना कम करने के लिए डॉक्टर क्या सुझाव देते हैं, इस पर भी स्लाइड हैं. देखभाल करने वालों को क्या करना होता है, इस पर चर्चा देखिये. इस प्रेजेंटेशन में उदाहरण और चित्र भी हैं.

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अल्ज़ाइमर · मनोभ्रंश (डिमेंशिया) पर जानकारी

डिमेंशिया के मुख्य प्रकार (भाग 4): अल्ज़ाइमर रोग

डिमेंशिया के लक्षण कई रोगों के कारण हो सकते हैं। अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease, AD) सबसे ज्यादा पाया जाने वाला डिमेंशिया रोग है। यह माना जाता है कि अल्जाइमर रोग डिमेंशिया के करीब 50-75% केस के लिए जिम्मेदार है। यह अकेले भी पाया जाता है, और अन्य डिमेंशिया के साथ भी मौजूद हो सकता है (जैसे कि संवहनी मनोभ्रंश या लुई बॉडी डिमेंशिया के साथ)।

[यह पोस्ट अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease, AD) : एक परिचय पृष्ठ का एक संक्षिप्त संस्करण है।]

अल्ज़ाइमर रोग में मस्तिष्क में हानि होती है-मस्तिष्क में न्यूरोफिब्रिलरी टैंगिल और बीटा-एमीलायड प्लैक देखे जाते हैं, और मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है. मस्तिष्क की हानि के कारण व्यक्ति में लक्षण नजर आते हैं। शुरू में ये लक्षण हलके होते हैं और कई बार लोग इन पर ध्यान नहीं देते। सबसे आम प्रारंभिक लक्षण है याददाश्त की समस्या। इस लिए इस रोग को कई लोग “भूलने की बीमारी”, “स्मृति-लोप” और “याददाश्त की समस्या” के नाम से भी जाना जाता है। शुरू में अन्य भी कई लक्षण होते हैं, जैसे की अवसाद, अरुचि, समय और स्थान का सही बोध न होना, वगैरह।

अल्ज़ाइमर रोग एक प्रगतिशील रोग है, और इस में हो रही मस्तिष्क में हानि समय के साथ बढ़ती जाती है। लक्षण भी गंभीर होते जाते हैं। व्यक्ति को सभी कामों में दिक्कत होने लगती है। रोग के अंतिम चरण में व्यक्ति अधिकाँश समय बिस्तर पर ही रहते हैं और पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं।

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अल्ज़ाइमर रोग किसी को भी हो सकता है। यह बड़ी उम्र के लोगों में अधिक देखा जाता है, पर कम उम्र में भी हो सकता है।

अफ़सोस, अल्ज़ाइमररोग लाइलाज है। इस को रोकने या ठीक करने के लिए दवा नहीं है। पर कुछ दवा और गैर-दवा वाले उपचार से लक्षणों से कुछ राहत मिल पाती है।

इस रोग से बचने के लिए कोई पक्का तरीका मालूम नहीं है, पर यह माना जाता है कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन शैली से इस की संभावना कुछ कम हो सकती है। हृदय स्वास्थ्य के लिए जो कदम उपयोगी है, वे इस से बचाव में भी उपयोगी हैं (What is good for the heart is good for the brain)।

यह पोस्ट अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease, AD) : एक परिचय पृष्ठ का एक संक्षिप्त संस्करण है। अल्ज़ाइमर रोग पर अधिक जानकारी के लिए और अन्य संसाधन के लिए क्लिक करें: अल्ज़ाइमर रोग(Alzheimer’s Disease, AD) : एक परिचय पृष्ठ — इस पृष्ठ पर चर्चा के विषय हैं: अल्ज़ाइमर रोग क्या है, इस के लक्षण क्या हैं, यह समय के साथ कैसे बिगड़ता है, यह किसे हो सकता है, रोग-निदान और उपचार, यह किसे हो सकता है, उम्र और इस रोग के बीच का सम्बन्ध, अब तक ज्ञात कारक, रोग की अवधि, और अधिक जानकारी और सपोर्ट के लिए उपलब्ध संसाधन।

अन्य प्रमुख प्रकार के डिमेंशिया पर भी हिंदी पृष्ठ देखें:


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अल्ज़ाइमर · मनोभ्रंश (डिमेंशिया) पर जानकारी

Different dementia diseases and symptoms अलग अलग रोग और डिमेंशिया लक्षण

डिमेंशिया के लक्षणों का मूल कारण है मस्तिष्क में हुई हानि, जिसके कारण व्यक्ति के सोचने-समझने और काम करने में समस्याएँ होने लगती हैं. मोटे तौर पर सब लक्षण संज्ञान से संबंधित हैं, पर फिर भी, किसी विशिष्ट व्यक्ति में कौनसे लक्षण पेश होंगे, वे कितने गंभीर होंगे, और समय के साथ कैसे बढ़ेंगे, यह फर्क रहता है.

मस्तिष्क के कई भाग हैं और वे अलग अलग कार्यों का नियंत्रण करते हैं. डिमेंशिया के लक्षण अनेक रोगों के कारण हो सकते हैं. यह सब रोग मस्तिष्क में हानि से संबंधित हैं, पर हर रोग में मस्तिष्क के किस भाग में कितनी हानि होती है, और समय के साथ यह कैसे बढ़ती है, यह अलग अलग है. मस्तिष्क के किस भाग में कितनी क्षति हुई है, लक्षण उसके अनुसार ही होंगे.

उदाहरणतः, अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease) में शुरू में हिप्पोकैम्पस (hippocampus) में असामान्य प्रोटीन खंड जमा होने लगते हैं. हिप्पोकाम्पस हमारे मस्तिष्क का वह भाग है जिसका सम्बन्ध हाल में हुई घटनाओं को याद रखने से है. इसलिए अल्ज़ाइमर रोग का एक शुरूआती लक्षण यह है कि व्यक्ति को कुछ ही देर पहले हुई बातों को याद रखने में दिक्कत होने लगती है (short term memory loss). जैसे जैसे रोग के कारण मस्तिष्क में हानि अन्य भागों में फैलती है, उन प्रभावित भागों से संबंधित कार्यों में भी व्यक्ति को दिक्कत होने लगती है.

Gray739-emphasizing-hippocampusअल्ज़ाइमर में सबसे पहले प्रभावित भाग है हिप्पोकैम्पस

पर एक अन्य डिमेंशिया रोग है फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (Fronto-temporal dementia). वास्तव में यह एक रोग नहीं, बल्कि एक ऐसे रोगों का समूह है जिन सब में हानि मस्तिष्क के फ्रंटल लोब और टेम्पोरल लोब में होती है.

फ्रंटल लोब (frontal lobe, ललाटखंड, मस्तिष्क का सामने वाला भाग) का सम्बन्ध हमारे निर्णय लेने की क्षमता से है. क्या महत्त्वपूर्ण है और क्या नहीं, किस कार्य करने का क्या अंजाम होगा, हम चुनाव कैसे करें, कौन सा व्यवहार समाज में अनुचित है, यह सब हम अपने फ्रंटल लोब के कारण जाना पाते हैं और कर पाते पाते हैं. ध्यान देना और योजना बनाना, भावनाओं के नियंत्रण रखना, इन सब में फ्रंटल लोब की जरूरत है. टेम्पोरल लोब (temporal lobe, शंख खंड) का भाषा समझने और इस्तेमाल करने से, और इन्द्रिओं से आये संकेत समझने और याद रखने से है.

Cerebrum lobesफ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया में फ्रंटल लोब और टेम्पोरल लोब के कुछ अंशों में हानि होती है

जब किसी व्यक्ति को फ्रंटोटेम्पोरल किस्म का डिमेंशिया होता है, तो शुरूआती लक्षण अधिकतर भाषा-संबंधी या व्यवहार संबंधी होते हैं, याददाश्त संबंधी नहीं. यह इसलिए क्योंकि हानि मस्तिष्क के फ्रंटल लोब और टेम्पोरल लोब में हुई है, हिप्पोकैम्पस में नहीं. पर फ्रंटोटेम्पोरल किस्म का डिमेंशिया में भी, कौनसे लक्षण पेश आयेंगे यह इस बात पर निर्भर है कि फ्रंटल और टेम्पोरल लोब के किस अंश में कितनी हानि हुई है. हो सकता है एक व्यक्ति का व्यवहार अशिष्ट या अश्लील हो, पर दूसरे व्यक्ति में पहले दिखना वाला प्रमुख लक्षण हो भाषा की समस्या.

एक और उदाहरण है संवहनी मनोभ्रंश (नाड़ी-संबंधी डिमेंशिया, Vascular dementia). यह नाड़ी-संबंधी समस्याओं के कारण होने वाले डिमेंशिया के लिए एक व्यापक शब्द है. मोटे तौर पर कहें तो रक्त वाहिकाओं में समस्याओं के कारण मस्तिष्क के कुछ भागों में खून कम पहुँचता है, या बिलकुल ही नहीं पहुँचता, और नतीजन मस्तिष्क का कुछ भाग नष्ट हो जाता है. कौनसे लक्षण नज़र आयेंगे यह इसपर निर्भर है कि मस्तिष्क के किस भाग में क्षति हुई है, और क्षति कितनी गंभीर है.

भारत में डिमेंशिया (मनोभ्रंश) और देखभाल पर चर्चा

Dementia memory loss examples डिमेंशिया में भूलने के कुछ उदाहरण

उम्र के साथ याददाश्त में और काम करने की क्षमता में कुछ कमी होना स्वाभाविक है, पर डिमेंशिया के लक्षण इन सामान्य प्रॉब्लम से अलग हैं. याददाश्त की समस्याओं को ही लीजिए. कुछ उदाहरण देखें.

मान लीजिए कि आप पापा और पूरे परिवार के साथ कुछ साल पहले एक शादी पर मुम्बई गए थे, और आपने वहाँ एक पूरा महीना बिताया था. सामान्य बुज़ुर्ग शायद यह भूल जाएँ कि कितने साल पहले गए थे या किस महीने में गए थे, और कोलाबा की सैर उस ट्रिप में करी थी या उससे पहले वाले मुम्बई के ट्रिप में. पर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति यह भी भूल सकते हैं कि वे किसी शादी में मुम्बई गए थे, या उन्होंने मुम्बई शहर देखा हुआ है या नहीं. यानि कि, किसी बड़ी घटना का एक हिस्सा भूल जाना सामान्य है, पर उसे पूरी तरह भूल जाना किसी समस्या का परिचायक है.

आम-तौर पर यदि हम कुछ भूल भी रहे हों तो याद दिलाने पर, या समझाने पर, हमें बात याद आ जाती है, पर डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति को याद दिलाने पर भी अक्सर बात नहीं याद आती.

या वस्तुओं के उपयोग करने को लीजिए. वस्तु किस काम के लिए है, और उसका उपयोग कैसे करें, यह भी याददाश्त पर निर्भर है. रोज काम आने वाली वस्तु के इस्तेमाल में पहले के मुकाबले कुछ धीरे पड़ जाना तो उम्र के साथ हो सकता है. पर ऐसा सामान्य नहीं है कि व्यक्ति यही भूल जाएँ कि वो वस्तु किस काम के लिए है.

अगर व्यक्ति चाबी देखकर कुछ चकराए हुए लगें, चाबी को ऐसे टटोलें जैसे कि वे समझ नहीं पा रहे हैं कि इस वस्तु को कैसे पकड़ते हैं और किस काम के लिए इस्तेमाल करें, तो यह व्यवहार सामान्य बुढ़ापे का अंग नहीं है. शुरूआती अवस्था में ऐसा कन्फ्यूज़न कुछ पल होता है, फिर चला जाता है, या व्यक्ति उसे छुपा पाते हैं. रोग के बढ़ने पर यह कन्फ्यूज़न बढ़ता है और पास वालों को स्पष्ट नज़र आने लगता है

सामान्य भूलने में और डिमेंशिया के भूलने में फर्क पर कुछ अन्य उदाहरण:

यह भूल जाना सामान्य है कि आज कौन सा वार है. परन्तु यह भूल जाना कि दस मिनट पहले नाश्ता करा था और फिर दुबारा नाश्ता माँगना, इस तरह का भूलना समस्या का बोधक है. अनजान शहर में रास्ता खोना साधारण बात है. पर परिचित जगह में कन्फ्यूज़ होना सामान्य नहीं है, जैसे कि अपने ही घर में यह भूल जाना कि गुसलखाना किधर है. दूर की जान-पहचान वाले को न पहचान पाना एक बात है, पर डिमेंशिया में तो व्यक्ति अपने ही बीवी-बच्चों के नाम भूल जाते हैं या उन्हें पहचान नहीं पाते. वे यही भूल सकते हैं कि वे रिटायर हो चुके हैं, या उनकी कभी शादी हुई थी. इस तरह के महत्त्व-पूर्ण बातों को भूलना सामान्य बुढ़ापे का अंग नहीं है.

डिमेंशिया की अग्रिम अवस्था में तो व्यक्ति अपना नाम और पहचान भी भूल जाते हैं. इस स्थिति तक पहुंचने पर तो यह सभी को स्पष्ट नज़र आने लगता है कि व्यक्ति सामान्य बुजुर्गों जैसे नहीं है. हम कितने भी बूढ़े क्यों न हों, यह कल्पना करना मुश्किल है कि हम अपना ही नाम भूल जायेंगे!

यह गौर करें कि डिमेंशिया की समस्याएं अचानक, रातों-रात नहीं होतीं. ये धीरे धीरे बढ़ती हैं. शुरू में ये छोटी, मामूली बातों में दिखाई देती हैं और तुच्छ लगती हैं, और परिवार वाले इनको नजरअंदाज कर देते हैं. शुरू में व्यक्ति भी अपनी समस्याओं को छुपा लेते हैं. शायद उन्हें डर लगता हो कि लोग उन पर हसेंगे या उन्हें पागल कहेंगे. जैसे जैसे स्थिति बदतर होती है, यह छुपाना मुश्किल होने लगता है. बाहर वालों के सामने तो वे सामान्य व्यवहार कर पाते हैं, पर घर पर, चौबीसों घंटे साथ रहने वालों को लगने लगता है कि कुछ ग्रिड है. यदि परिवार वाले सतर्क रहें तो पहचान पायेंगे कि क्या भूलना सामान्य किस्म का है या गंभीर समस्या का सूचक हो सकता है. वे फिर डॉक्टर से सलाह करके उचित निदान पा सकते हैं. (वैसे भी, अगर शक हो कि शायद समस्या डिमेंशिया जैसे है, तो सलाह लेना अच्छा होगा)

इस पर और कुछ जुड़े हुए उपयोगी विषयों पर आप चर्चा और लिंक इस पृष्ठ पर देख सकते हैं: डिमेंशिया क्या है.

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Dementia and memory loss डिमेंशिया और “भूलने की बीमारी”

डिमेंशिया को कभी कभी “भूलने की बीमारी” का लेबल दिया जाता है. इस लेबल से सुनने वाले यह समझ बैठते हैं कि डिमेंशिया का एक-मात्र लक्षण है स्मृति लोप. वे सोचते हैं कि व्यक्ति की याददाश्त बिलकुल ही खराब हो जायेगी या शायद पुरानी यादें पूरी तरह गायब हो जायेंगे. या लोग यह सोचते हैं कि भूलने की प्रॉब्लम तो बढ़ती उम्र में सबको होती है, डिमेंशिया में शायद कुछ ज्यादा होती होगी–दिन में एक बार चाबी खोने की बजाय व्यक्ति दो-तीन बार खो देते होंगे. या शायद कुछ लोगों को यह डर होने लगता है कि अगर वे कुछ भी भूलें तो उन्हें डिमेंशिया हो गया है.

इस पोस्ट में देखें कि डिमेंशिया को “भूलने की बीमारी कहना कितना सही है, और इससे किस तरह की गलत धारणाएं पैदा हो सकती हैं.

अल्ज़ाइमर प्रकार के डिमेंशिया में याददाश्त की समस्या शुरू की अवस्था का एक महत्वपूर्ण लक्षण है: (Memory problems are an initial, characteristic symptom of Alzheimer’s Disease) डिमेंशिया के लक्षण अनेक रोगों के कारण हो सकते हैं, जैसे कि अल्जाइमर रोग (एल्ज़ाइमर्ज़, Alzheimer’s Disease), फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (FTD, fronto-temporal dementia), लुई बॉडी डिमेंशिया (Lewy Body Dementia), संवहनी मनोभ्रंश (नाड़ी-सम्बंधी डिमेंशिया, वास्कुलर डिमेंशिया Vascular dementia), इत्यादि. डिमेंशिया पैदा करने वाले रोगों में शुरू में दिखाई देने वाले लक्षण भिन्न भिन्न हैं. डिमेंशिया का सबसे आम कारण है अल्जाइमर रोग, और इसमें भूलने की प्रॉब्लम एक प्रारंभिक और प्रमुख लक्षण होता है. इसे कई लोग अल्ज़ाइमर का एक प्रतिनिधिक लक्षण समझते हैं.

ऐसे कई प्रकार के डिमेंशिया हैं जिनमें शुरू में भूलने का लक्षण प्रमुख नहीं होता: (Memory problems are not necessarily an initial symptom in some forms of dementia) कुछ किस्म के डिमेंशिया में भूलने की समस्या प्रारंभिक अवस्था में प्रमुख न हो या शायद नज़र ही न आये. उदाहरण के तौर पर, संवहनी डिमेंशिया में शुरूआती लक्षणों में अक्सर भूलने की समस्या इतनी ज्यादा नहीं होती जितनी की शारीरिक कमजोरी और मनोदशा (मूड) में अस्थिरता/ उतार-चढ़ाव(mood fluctuations). एक अन्य डिमेंशिया, फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया में शुरू में याददाश्त पर असर नहीं होता–इसमें शुरू के आम लक्षण हैं व्यक्तित्व का बदलना, मूड अस्थिरता, भाषा-संबंधी दिक्कतें, अशिष्ट व्यवहार, अंतर्बाधा खो देना (disinhibition).

डिमेंशिया में भूलने के अलावा भी अनेक लक्षण हैं जो गंभीर हैं और जिनसे व्यक्ति को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है: (Apart from memory problems, there are many other, very serious symptoms of dementia that cause great difficulties to persons with dementia) डिमेंशिया को भूलने की बीमारी कहने से लगता है कि डिमेंशिया में सिर्फ पुरानी बातें भूलने की समस्या हैं, बाकी सब ठीक-ठाक है. यह धारणा गलत है. डिमेंशिया के कई गंभीर लक्षण हैं–भूलना उनमें से सिर्फ एक है. हो सकता है कि व्यक्ति को समय और स्थान का बोध नहीं रहे, हिसाब करने में दिक्कत होने लगे, कुछ भी प्लॉन करने में दिक्कत होने लगे, सामान्य दैनिक कार्य मुश्किल हो जाएँ, चीज़ों को पहचानने और इस्तेमाल करने में कठिनाई होने लगे, बात करते हुए सही शब्द नहीं सूझें, दूसरों की बात समझने और याद रखने में दिक्कत हो. चरित्र और व्यवहार भी काफी बदल सकता है. व्यक्ति को अवसाद हो सकता है, ये वे बिना किसी स्पष्ट कारण के उत्तेजित हो सकते हैं, वगैरह. डिमेंशिया की अंतिम अवस्था में व्यक्ति औरों पर पूरी तरह निर्भर हो जाते हैं, और शय्याग्रस्त (bedridden) हो जाते हैं. “भूलने की बीमारी” के लेबल के इस्तेमाल से इन अन्य गंभीर समस्याओं का अंदाज़ा नहीं हो पाता.

भूलने के कई कारण हो सकते हैं–सब भूलने की जड़ डिमेंशिया नहीं है: (Not all memory loss is dementia) यह तो जांच से ही पता चलेगा कि भूलना किस वजह से हो रहा है, पर भूलने के कई संभव कारण हैं. जैसे कि, अवसाद या अन्य वजह से बातों पर पूरी तरह ध्यान न दे पाना भूलने का एक आम कारण है.

डिमेंशिया का “भूलना” सदमे से हुए अम्नीसिया (स्मृतिलोप/ शब्दस्मृतिभ्रंश) जैसा नहीं है: Dementia should not be confused with films centering around accidents and amnesia) याददाश्त की समस्या डिमेंशिया का एक लक्षण जरूर है, पर इसको ऐसी स्थिति से नहीं कन्फ्यूज़ करें जैसे कि जब किसी एक्सीडेंट या किसी अन्य सदमे की वजह से कोई व्यक्ति पुरानी बातें भूल जाते हैं. कुछ फिल्मों में हमने ऐसे स्मृति-लोप का चित्रण देखा हो, जैसे कि श्रीदेवी की पुरानी फिल्म सदमा और आमिर खान की फिल्म गजनी–ये फिल्में डिमेंशिया के चित्रण नहीं हैं. पर अगर लोग सोचें कि डिमेंशिया एक “भूलने की बीमारी” है, तो कन्फ्यूज़ होना स्वाभाविक है.

डिमेंशिया का “भूलना” उम्र के साथ होने वाले सामान्य भूलने के किस्सों जैसा नहीं है: (Dementia memory problems are not the same as memory decline seen in healthy seniors) कुछ भूलना तो सबके साथ लगा रहता है, और यह उम्र के साथ बढ़ता भी है. पर हरेक भूलने की घटना को डिमेंशिया का भूलना समझना गलत है. डिमेंशिया में भूलना कुछ अलग प्रकार का होता है.

तो हाँ, यह सच है कि भूलना डिमेंशिया के लक्षणों में से एक अहम लक्षण है, पर कोई व्यक्ति कुछ भूले, इसका यह मतलब नहीं कि उन्हें डिमेंशिया ही है. और न ही हम कह सकते हैं कि अगर व्यक्ति की याददाश्त सही सलामत है, तो उन्हें डिमेंशिया नहीं है. “भूलने की बीमारी” का लेबल हमें भ्रमित कर सकता है, और हम सही समय पर डॉक्टर की सलाह लेने में झिझक सकते हैं. अच्छा यह होगा कि हम “भूलने” पर फोकस करने की बजाय ये देखें कि क्या व्यक्ति के सोचने-समझने में और काम करने में कुछ प्रॉब्लम हो रही है–हमें समस्त लक्षणों के प्रति सतर्क रहना होगा, सिर्फ याददाश्त पर नहीं.

लक्षणों पर चर्चा आप मेरे वेबसाइट के इस पृष्ठ पर देख सकते हैं: डिमेंशिया क्या है.